सुमीत पोंदा ‘‘भाईजी’’ साई भक्तों में एक कर्मयोगी के रूप में लोकप्रिय हैं। उन्होंने साई जीवन से जुड़ी घटनाओं को सहज रूप में प्रस्तुत कर उसकी व्याख्या कर एक अलग ही पहचान बनाई है। ‘‘भाईजी’’ ने श्री साई अमृतकथा के जरिए कोशिश की है कि लोग सर्वशक्तिमान ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास करें और साई की छाया में बैठ कर जीवन को आगे बढ़ाने की कोशिश करें। ‘‘भाईजी’’ का प्रयास है कि दुनिया अपनी अच्छाई के लिए जानी जाए। वह लोगों को प्यार, अच्छाई और आध्यात्मिकता के रास्ते पर चलने के लिए हमेशा प्रेरित करते हैं।
साई अमृतकथा का झरना ‘‘भाईजी’’ के जीवन में अनायास ही नहीं बहा। इसके लिए उनकी तपस्या और साधना तब निखर कर आयी जब उन्होंने साई के प्रति अपना सब कुछ अर्पित कर दिया। जिंदगी में किसी को सफलता यूं ही नहीं मिल जाती। इसके लिए आदमी को बड़ी-बड़ी साधना व तपस्या करनी पड़ती है। जीवन की सुख-सुविधाओं को साधना
की भट्टी में झोंकना पड़ता है। ‘‘भाईजी’’ भी इस दौर से गुजरे हैं और उनको लगा कि जिस तरह से हर जीवन का एक लक्ष्य होता है और उसकी प्राप्ति बिना गुरू की शरण में जाए नहीं हो सकती है तो वह भी साई साधना में लीन हो गए।
आडम्बरों की दुनिया से दूर ‘‘भाईजी’’ की एक अलग दुनिया है जिसमें सहजता और सादगी के वह पहलू हैं जिनको हम लोग अक्सर नजर अन्दाज कर देते हैं। श्री साई अमृत कथा का पाठन साई भक्तों के तकरीबन सभी घरों में होता है पर उनके जरिए साई नाथ अपने भक्तों को क्या संदेश देना चाहते थे इसकी व्याख्या करना सहज नहीं है। हमारे बीच ‘‘भाईजी’’ साई के माध्यम के जरिए जो संदेश देते हैं उनसे कुछ क्षणों के लिए श्र(ालुओं के बीच जो साई की गंगा बहती है उससे साई के प्रति लोगों की जिज्ञासा और बढ़ती है।